📜 इतिहास और एएसआई की पुष्टि
मंदिर का सटीक निर्माण काल आज भी रहस्य बना हुआ है, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए गए अध्ययन में यहां की प्रतिमाओं को लगभग 1700 वर्ष पुराना बताया गया है। पुजारी दीपक मिश्रा के अनुसार—
“यह मंदिर पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है। कानपुर और आसपास के लोग सदियों से यहां आकर मां का आशीर्वाद लेते आ रहे हैं, और इसका प्रमाण मंदिर की चट्टानों व मूर्तियों में मिलता है।”
🙏 लोककथा: 12 बहनों की मार्मिक कहानी
मां बारा देवी मंदिर से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कथा 12 बहनों की है। मान्यता है कि पिता के कोप से बचने के लिए बर्रा इलाके की 12 बहनें घर छोड़कर भाग आईं और मूर्ति स्वरूप में परिवर्तित हो गईं। यही 12 बहनें आज बारा देवी के रूप में पूजित हैं। इन स्वरूपों की प्रतिमाएं मंदिर में आज भी स्थापित हैं और हर एक की अलग महत्ता है।
🌸 नवरात्रि पर भव्य आयोजन
साल भर भक्त यहां दर्शन करते हैं, लेकिन शारदीय नवरात्रि के दौरान मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। चुनरी चढ़ाना, कन्या पूजन, विशेष आरतियां और भव्य सजावट यहां की प्रमुख विशेषताएं हैं। एक भक्त रामेश्वर प्रसाद कहते हैं—
“मां बारा देवी की कृपा से हर संकट टल जाता है। मैंने यहां मांगी मन्नत पूरी होते देखी है।”
मंदिर प्रबंधन के अनुसार, नवरात्रि में रोज़ाना लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
🌟 परंपराएं और चमत्कार
मंदिर की 12 प्राचीन प्रतिमाएं संगमरमर और पत्थर से बनी हैं, जो प्राचीन शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण हैं। मान्यता है कि दर्शन मात्र से मां हर इच्छा पूरी करती हैं। मंदिर परिसर के बाहर लगने वाले मेले में झूले, हस्तशिल्प, धार्मिक सामग्री और मिठाइयों की दुकानें हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं।
🛕 सांस्कृतिक धरोहर
मां बारा देवी मंदिर कानपुर ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र है। हाल ही में मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण भी कराया गया है।
👉 यदि आप नवरात्रि पर कानपुर पहुंचते हैं, तो मां बारा देवी के दर्शन अवश्य करें, क्योंकि यह आस्था स्थल सदियों से भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करता आ रहा है।
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