बारिश से पहले मेयर प्रमिला पांडे ने नगर निगम अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि नालों की समय से सफाई और सड़कों के गड्ढों की मरम्मत कराई जाए। बावजूद इसके, ज़मीनी हकीकत कुछ और ही नजर आई। कई इलाकों में नाले ओवरफ्लो होते दिखे और सड़कों की हालत बदतर हो गई। इससे साफ है कि नगर निगम के अधिकारियों ने निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया, और शहरवासियों को नतीजा भुगतना पड़ा।
अब जनता यह सवाल पूछ रही है कि हर साल बरसात में एक जैसी स्थिति क्यों बनती है? क्या मानसून से पहले की तैयारियां सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाती हैं? इस बार की बारिश ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नगर निगम की व्यवस्थाएं केवल दिखावटी हैं, और वास्तविक तैयारी का अभाव शहर को परेशानी की ओर धकेल रहा है।
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