वैसे तो गंगा बैराज हमेशा से लोगों के एन्ज्वॉयमेंट का केंद्र रहा है, लेकिन इसके साथ ही यह सुसाइड प्वांइट के नाम से भी विख्यात है. औसतन हर महीने दो या तीन लोग गंगा बैराज से नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर लेते हैं या आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि दिन पर दिन स्थितियां बिगड़ती जा रही हें. इसके बावजूद पुलिस या जिला प्रशासन द्वारा रोकथाम के लिए अब तक कोई प्रबंध नहीं किए गए.
इस वर्ष खुदकुशी के कुछ उदाहरण
24 जनवरी 2020. मेडिकल कॉलेज की छात्रा अमृता सिंह ने छलांग लगाई
एक जुलाई 2020. अज्ञात युवक ने गंगा बैराज से छलांग
दो सितंबर 2020. उन्नाव के बांगरमऊ की रहने वाली कानपुर विश्वविद्यालय से बीएससी कर रही छात्रा ने की आत्महत्या
आठ अक्टूबर 2020. महिला ने छलांग लगाई बचाया
15 सितंबर 2020 बीमारी से तंग युवती ने आत्महत्या की कोशिश की
13 अक्टूबर 2020. हैलट में संविदा पर काम करने वाले अनुज शिवहरे नाम के युवक ने आत्महत्या की
नौ नवंबर 2020. कन्नौज निवासी छात्रा कानपुर पेपर देने आई थी गंगा बैराज पहुंचकर की आत्महत्या
जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर उठ रहे प्रश्न
हाल के सालों में गंगा बैराज के पुल से गंगा नदी में छलांग लगाने वालों की संख्या में अचानक वृद्धि आ गई है. आए दिन इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही है. रविवार को भी कन्नौज के नदेमऊ निवासी युवती ने आत्महत्या कर ली. ऐसे में एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं कि आखिर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन बैराज के दोनों सिरों पर जालियां क्यों नहीं लगाता. काफी पहले इस तरह का एक प्रस्ताव सामने भी आया था, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं. अगर दोनों तरफ जालियां लग जाएं तो पुल से नदी में कूदने की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी.
इनका ये है मानना
एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार ने भी माना कि गंगा बैराज पुल से कूदकर आत्महत्या करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इस संबंध में पुलिस निगरानी बढ़ाने के साथ ही दोनों और लोहे की जालियां लगाने का प्रस्ताव भी सही है वह इस संबंध में अधिकारियों से बात करेंगे.
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