किसी भी हादसे से लेकर अपराध से जुड़ी घटनाओं में मेडिकोलीगल की सबसे अहम भूमिका होती है. घायल की चोटों की गंभीरता का पता लगाने के लिए पुलिस के द्वारा मेडिको लीगल यानी डॉक्टरी परीक्षण कराया जाता है. इसी के हिसाब से केस में धाराएं घटाई और बढ़ाई जाती हैं. हैलट में अभी तक इसकी मैनुअल रिपोर्ट बनाई जाती थी लेकिन अब इसमें परिवर्तन किया जा रहा है. हैलट अस्पताल में अब मेडिको लीगल की कंप्यूटराइज्ड रिपोर्ट बनेगी. जिससे कोर्ट में डॉक्टरों की लिखावट पढऩे में किसी तरह की दिक्कत न होने पाए. इसके साथ ही रिपोर्ट भी ई-हॉस्पिटल पर ऑनलाइन भी होगी.
बताया जा रहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो साल पहले एक मामले की सुनवाई के दौरान मेडिको लीगल (चिकित्सा विधान) रिपोर्ट की हैंड राइटिंग स्पष्ट न होने पर सवाल उठाए थे. उस समय ही प्रदेश सरकार को अस्पतालों की इमरजेंसी में तैनात इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर को कंप्यूटराइज्ड रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे. उस समय कंप्यूटर उपलब्ध भी कराए गए थे, लेकिन बाद में काम फिर से पुराने ढर्रे पर चलने लगा। इधर, मेडिको लीगल के मामलों को लेकर शिकायतें बढऩे पर सरकार ने फिर से शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. शासन ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को पत्र भी लिखा है. प्राचार्य ने इमरजेंसी के नोडल अफसर डॉ. मनीष सिंह को कंप्यूटराइज्ड मेडिको लीगल रिपोर्ट बनवाने के निर्देश दिए हैं. बताया जा रहा है कि शासन मेडिको लीगल को लेकर काफी गंभीर दिख रहा है. इसी वजह से अब ई-हॉस्पिटल सिस्टम पर सभी मेडिको लीगल रिपोर्ट दर्ज करके ऑनलाइन करनी हैं.
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