कानपुर में डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने की तैयारी शुरू कर दी गई है. उर्सला अस्पताल में दस बेड का अलग डेंगू वार्ड बनाया गया है. वहीं, हैलट अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए गुरुवार को बैठक बुलाई गई है, इसमें डेंगू के मरीजों को अलग रखने पर मंथन किया गया है.
जिले में सरकारी एवं निजी क्षेत्र की लैब में दो हजार से अधिक डेंगू संक्रमित सामने आ चुके हैं. वहीं, डेंगू की चपेट में आए 15 से अधिक मरीज दम तोड़ चुके हैं. सरकारी स्तर से डेंगू के आंकड़े का रखरखाव भी नहीं हो रहा है. हद तो यह है कि सरकारी आंकड़ों में अभी तक एक भी मौत दर्ज नहीं है. कोरोना की रोकथाम में लगे अधिकारी भी मच्छरों के कहर एवं उससे जुड़ी डेंगू-मलेरिया की बीमारियों के प्रकोप को मानने के लिए तैयार नहीं हैं. इस वजह से डेंगू का अलर्ट भी विलंब से अक्टूबर में जारी किया गया. अलर्ट जारी होने के बाद अस्पतालों में डेंगू से निपटने की तैयारी शुरू हुई. उर्सला के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एके सिंह ने बताया कि डेंगू की जांच शुरू हो गई है. रोजाना दो-तीन संक्रमित निकल रहे हैं. हालांकि बुधवार को एक भी संक्रमित नहीं निकला. डेंगू के मरीजों को भर्ती करने के लिए न्यू ओपीडी ब्लॉक के तीसरे मंजिल में डेंगू वार्ड में 10 बेड सुरक्षित किए हैं. वहीं 10 बेड पर मच्छरदानी भी लगाई गई है. फिलहाल चार डेंगू संक्रमित भर्ती हैं.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरि ने बताया कि डेंगू के मरीजों की संख्या बढऩे लगी है. अब उन्हेंं सामान्य मरीजों के साथ नहीं रखा जा सकता है. इसलिए अलग वार्ड बनाने के लिए बैठक बुलाई थी. डेंगू मरीजों को रखने के लिए मनोरोग विभाग से वार्ड मांगा गया है. उनकी सहमित के बाद वार्ड बनाया जाएगा.


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