बिजली की झालरों के मामले में थोक कारोबारियों की पिछले कई माह से चल रही स्वदेशी की मुहिम को फुटकर दुकानदारों ने आखिरी मौके पर हल्का करने का प्रयास किया. अंतिम मौके पर फुटकर दुकानदारों ने पिछले वर्ष का पड़ा चीन का स्टाक भी माल में मिलाकर सजा दिया. हालांकि ग्राहकों ने कुछ ज्यादा ही चमक देख दुकानदारों से पूछ भी लिया कि यह इंडियन है या चाइनीज. इस दौरान सुखद बात यह रही कि ग्राहकों ने चीन की झालरों को ना कर दिया.
इस वर्ष त्योहार में चीन की झालरें पूरी तरह थोक बाजार से बाहर थीं. थोक कारोबारियों ने खुद ही स्वदेशी झालरें बनवाईं थीं. इसके लिए तमाम लोगों को घरेलू रोजगार भी मिल गया था. चीन की झालर इस वर्ष बाजार में आई नहीं थीं. इस वजह से थोक बाजार से स्वदेशी झालरों की ही ज्यादातर बिक्री थी. कुछ थोक कारोबारियों के पास पिछले वर्ष का स्टॉक पड़ा था, उन्होंने उसे निकालने का प्रयास नहीं किया क्योंकि लोगों की भावनाओं को देखते हुए इससे बाकी माल भी फंस सकता था लेकिन फुटकर कारोबारियों ने इस भावना को नहीं दिखाया.
शहर भर में तमाम फुटकर दुकानों में धनतेरस के दिन स्वदेशी के साथ चीन की झालर भी दिखीं. स्वदेशी की कीमत ज्यादा होने की वजह से कारोबारियों ने चीन की झालरों की कीमत भी बढ़ा दी. स्वदेशी और चीन की झालरें एकदूसरे में मिक्स कर काउंटर पर लगा दी गई थीं लेकिन ग्राहकों को यह बात भी समझ में आ गई. इसलिए करीब-करीब सभी ग्राहकों ने दुकानदारों से पूछ लिया कि यह इंडियन झालर है या चीन की.
चीन की जगह इंडियन डिजाइनर दीये
चीन हर वर्ष दीपावली पर डिजाइनर दीये भेजता था. इस वर्ष चीन से ये दीये नहीं आए. इन दीयों का छह और 12 का सेट आता था. इनकी जगह पूरी तरह इंडियन दीयों को लेकर ग्राहक भी काफी खुश नजर आ रहे थे. इसमें भी सिंगल दीये से लेकर मल्टी दीये भी रहे.

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