खनन से होने वाली कमाई के बारे में तो सभी को पता है. खनन की अनुमति से सरकारी राजस्व में भी हर साल अच्छी खासी बढ़ोत्तरी होती है लेकिन कानपुर में मामला इसके उलट है. दरअसल, कानपुर में खनन से सरकारी खजाने की कमाई हर साल बढ़ने की जगह घटती जा रही है. यह हाल तब है, जब गंगा की गोद समेत अन्य स्थानों में खनन तेजी से चल रहा है. इस मामले को कमिश्नर ने पकड़ा है. कमिश्नर ने माइनिंग इंस्पेक्टर के खिलाफ अब लिखित चेतावनी जारी की है.
दरअसल, कमिश्नर डॉ. राजशेखर गुरूवार को कलेक्ट्रेट के निरीक्षण पर पहुंचे थे. यहां पर जब खनन के रिकॉर्ड की पड़ताल की गई तो पाया गया कि पिछले चार वर्षों में कानपुर में खनन में होने वाला राजस्व संग्रह लगातार घटता जा रहा है. यही नहीं, लापरवाही की इंतहा ऐसी कि माइनिंग इंस्पेक्टर पिछले 16 माह से किसी खनन क्षेत्र के न तो नियमित फील्ड क्षेत्र में गए और न ही कहीं औचक जांच की. इसके अलावा घटते राजस्व संग्रह को लेकर किसी जिम्मेदार अधिकारी ने भी हाल जानना उचित नहीं समझा. नाराज कमिश्नर ने माइनिंग इंस्पेक्ट को लिखित चेतावनी जारी करने के साथ ही डीएम आलोक कुमार तिवारी को निर्देश दिए कि अगले दो से तीन महीनों में खनन पट्टे के जो चार लंबित मामले है, उनका निस्तारण कराया जाए. जिला खनन निधि में पड़ी राशि का बेहतर उपयोग करने को कहा गया. इसके साथ ही पिछले चार दशकों से यानि वर्ष 1980 से कलेक्ट्रेट में अनावश्यक रिकॉर्ड्स को नष्ट करने की कार्यवाही नहीं की गई. जिसकी वजह से रिकॉर्ड रूम में बेवजह बोझ बढ़ता जा रहा है. इस पर रिकॉर्ड रूम प्रभारी एडीएम एलए को चार महीनों में अनावश्यक रिकॉर्ड को नष्ट करने के निर्देश दिए गए. जल स्रोतों पर अतिक्रमण की पहचान का काम नर्वल तहसील में लंबित पाया गया. कमिश्नर ने पूरे शहर में जलस्रोतों पर अतिक्रमण के खिलाफ की गई कार्रवाई को भी लंबित पाया. उन्होने जिलाधिकारी को साप्ताहिक आधार पर निगरानी करने के साथ 31 मार्च तक अतिक्रमण हटाने के लिए कहा.

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