कानपुर के बिकरू कांड में 8 पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद मुठभेड़ में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे (Gangster Vikas Dubey) के मामले में अब एक नया मोड़ सामने आया है. एसआईटी की एक रिपोर्ट के आधार पर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर मोबाइल सिम कार्ड और शस्त्र लाइसेंस लेने के आरोप में विकास दुबे की पत्नी और भाई समेत नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
मामले में विकास दुबे के भाई दीपू, बहू अंजली और पत्नी रिचा समेत 9 लोगों पर चौबेपुर थाने में मुकदमा पंजीकृत किया गया है. वहीं उत्तर प्रदेश के कानपुर के बिकरू कांड की जांच कर रहे विशेष जांच दल (SIT) ने यूपी सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट में 40 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की सिफारिश की है. मामले में विभागीय जांच के बाद इन पर कार्रवाई होगी. इन 40 पुलिसकर्मियों में तत्कालीन एसपी (ग्रामीण) प्रद्युम्न सिंह, तत्कालीन सीओ (कैंट) राम कृष्ण चतुर्वेदी और वर्तमान सीओ (एलआईयू) सूक्ष्म प्रकाश के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है.
इनके अलावा कानपुर नगर, कानपुर देहात के शिवली थाना और लखनऊ के कृष्णा नगर थाने के एक पूर्व इंस्पेक्टर व अन्य पुलिसकर्मियों को एसआईटी ने दोषी ठहराया गया है. इनमें वो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जो पहले ही घटना में दोषी पाए गए और गिरफ्तार कर जेल भेजे गए हैं.
इनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश
इनमें जेल में बंद चौबेपुर के पूर्व एसओ विनय तिवारी, दारोगा केके शर्मा, बजरिया थानेदार राममूर्ति यादव, पूर्व बजरिया इंस्पेक्टर मोहम्मद इब्राहिम, एसके वर्मा, पूर्व चौबेपुर एसओ वेद प्रकाश, राधे श्याम यादव, संजय सिंह, सतीश चंद्र, राकेश कुमार, लालमणि सिंह, बृजकिशोर मिश्र, मुकेश कुमार, शिवली के पूर्व एसओ राकेश कुमार श्रीवास्तव, रूरा के पूर्व एसओ धर्मवीर सिंह के नाम प्रमुख हैं. बता दें कि 2 जुलाई की रात विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ मिलकर 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की थी. इसके बाद एसटीएफ के साथ एनकाउंटर में विकास दुबे मारा गया था.

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