आम तौर देव दीपावली को जगमगाने वाले पतित पावनी मां गंगा के तट का एक बड़ा हिस्सा उससे पहले जगमगा उठा. गंगा बैराज के अटल घाट पर ट्रायल के तौर पर काशी और हरिद्वार जैसी गंगा आरती का स्वप्न साकार हुआ, तो न केवल जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारी, बल्कि कोविड प्रोटोकॉल की वजह से घाट से दूर रहकर आरती को आस्था के अथाह सागर में डूबकर देखने वाले श्रद्धालु भी मां गंगा की भक्ति से ओतप्रोत नजर आए. कमिश्नर की पहल पर अटल घाट पर हुई आरती ने ऐसा मनोरम दृश्य पैदा किया कि इन पलों को कैद करने को यहां मौजूद हर शख्स आतुर हो पड़ा.
दरअसल, कमिश्नर डॉ. राजशेखर की परिकल्पना है कि हरिद्वार और काशी की तर्ज पर कानपुर में भी रोजाना गंगा आरती हो. इसके लिए अटल घाट जैसा रमणीय स्थल भी तय कर लिया गया. इसके पीछे भाव यह था कि अटल घाट पर न केवल बड़ी जगह है, बल्कि कानपुर का यह एक प्रवेश द्वार भी है. ऐसे में यहां से बाहर आने जाने वाले निकलेंगे, तो उनके मन में आस्था की एक अलग अनुभूति होगी. इसी परिकल्पना का ट्रायल शुक्रवार को अटल घाट पर किया. गंगा आरती के लिए अटल घाट को रोशनी से लेकर कलात्मक रंगोली से सजाया गया.
काशी की तर्ज पर पुरोहितों के लिए आसन भी लगाए गए. शाम होते-होते जैसे ही सूर्यदेव की किरणें मद्धिम पड़ने लगने लगीं, वैसे ही अटल घाट भी सतरंगी रोशनी से नहा उठा. यहां पर कानपुर गौशाला सोसाइटी से मंगवाए गए पंचगव्य के 11 हजार दीप जब जले, तो ऐसा लगा कि मानों वह मां गंगा से आह्वान कर रहे हों कि शहर के घाटों से मोक्षदायिनी अब कभी रूठ कर दूर न जाएं. झिलमिल दीपकों की जगमगाहट के इस आनंदमय क्षणों में यहां मौजूद हर शख्स भाव विभोर नजर आया. महापौर प्रमिला पांडेय से लेकर यहां मौजूद हर शख्स गंगा आरती के इस पहल को सुचारू करने के प्रति पूरी तरह तत्पर नजर आया.


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